आजीविका और गोवा की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अगली सुनवाई में गोवावासियों ने तत्काल राहत की मांग की

आजीविका और गोवा की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अगली सुनवाई में गोवावासियों ने तत्काल राहत की मांग की


नई दिल्ली : गोवा में खनन से जुड़े लोगों – माइनिंग वर्कर्स, लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री, बार्ज, पोर्ट आदि में रोजगार पाए लोगों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई को गोवा खनन मामले में अगली सुनवाई के दौरान गोवा में खनन के मुददे को प्राथमिकता में रखने और अंतरिम राहत देने की अपील की है। गोवावासियों ने राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार और खनन पर निर्भर लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए राज्य में खनन गतिविधियों को तत्काल पुनः प्रारंभ कराने की अपील भी की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण राज्य में 15 मार्च, 2018 से सभी खनन गतिविधियां अचानक रोक दी गईं, जिससे राज्य में 3,00,000 लोगों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ा।


अप्रत्याशित कोविड महामारी ने गोवा के लोगों के घावों को और गहरा कर दिया है, क्योंकि इसके कारण गोवा में राजस्व और रोजगार सृजन के मामले में सबसे बड़े सेक्टर पर्यटन में गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई है और अभी निकट भविष्य में इसमें सुधार का कोई संकेत भी नहीं दिख रहा है। 2 साल से खनन गतिविधियों पर लगी रोग के कारण दबाव झेल रहे राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन सेक्टर में इस गिरावट के कारण और बदहाल हो गई है। राज्य का कर्ज इस समय 20,000 करोड़ रुपये के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है और गोवा की भविष्य की पीढ़ियों पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है


बिचोलिम म्यूनिसिपिल काउंसिल के चेयरपर्सन राजाराम अर्जुन गांवकर ने कहा, "हम माननीय सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि अगली सुनवाई में गोवा में खनन गतिविधियों को पुनः प्रारंभ कराने की दिशा में तत्काल राहत दे। खनन गतिविधियों पर रोक से राज्य की अर्थव्यवस्था पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ा है और अब कोविड-19 महामारी अर्थव्यवस्था के लिए और भी ज्यादा घातक साबित हो सकती है। गोवा के लोगों के समक्ष आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। खनन उद्योग में स्थानीय श्रम एवं उपकरणों का ही प्रयोग होता है, इसलिए इस समय खनन गतिविधियों को प्रारंभ करना गोवा के लिए सबसे राहतभरा कदम हो सकता है और राज्य को राजस्व व रोजगार का महत्वपूर्ण जरिया दे सकता है।"


राजाराम अर्जुन गांवकर ने आगे कहा, "हमें उम्मीद थी कि अप्रैल, 2020 में प्रस्तावित पिछली सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट 3,00,000 से ज्यादा गोवावासियों को राहत देगा, लेकिन कोविड-19 के कारण सुनवाई टाल दी गई। कोविड-19 के कारण देशभर में रोजगार को हुआ नुकसान हमारे तमाम भारतीय भाइयों व बहनों के लिए चिंता और तनाव का कारण बना हुआ है, लेकिन हम पिछले दो साल से बेरोजगारी और असहाय स्थिति में हैं और इस समय हमारी पूरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट पर ही टिकी है। हमें पूरा भरोसा है कि अदालत राज्य के लोगों को राहत अवश्य देगी।"


धरबांदोरा तालुका ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के बालाजी गौंस ने कहा, "करोड़ों रुपये मूल्य के ट्रक और अन्य मशीनरी 2 साल से ज्यादा समय से जस के तस पड़े हैं। यह हमारे लिए और हमारे परिवारों के सहयोग के लिए आजीविका का इकलौता साधन थे। खनन गतिविधियां बंद होने के कारण हमारे कई एसेट बैंकों ने अपने कब्जे में ले लिए हैं। और यदि माननीय सुप्रीम कोर्ट तत्काल राहत नहीं देता है तो हमारे जैसे आम लोगों के समक्ष जीने का कोई रास्ता नहीं बचेगा।"


कोविड-19 महामारी फैलने के बाद पिछले कुछ महीने में गोवा सरकार केंद्र से तत्काल खनन गतिविधियां शुरू करने की अपील कर रही है।


22 अप्रैल, 2020 को माननीय मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत और राजभवन के मुख्य सचिव परिमल राय, आईएएस के साथ बैठक में गोवा के माननीय राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कोविड-19 महामारी के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़े दुष्प्रभाव पर चर्चा की थी


इसके बाद 28 अप्रैल, 2020 को माननीय राज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने और राज्य के हित में कदम उठाने का अनुरोध किया था। माननीय गवर्नर ने राज्य सरकार को विधायी तरीके से माइनिंग लीज को पुनः प्रारंभ करने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखने को कहा था।


अप्रैल, 2020 में मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गोवा दमन एवं दीव (खनन पट्टों के रूप में खनन रियायतों एवं घोषणा की समाप्ति) अधिनियम, 1987 में संशोधन की मांग की थी, जिससे राज्य में 2037 तक खनन गतिविधियों को अनुमति मिल सकेगी


अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है और गोवावासी राज्य में तत्काल प्रभाव से खनन गतिविधियां पुनः प्रारंभ करने की मांग करते हैं।