आर्थिक सुरक्षा को सीमाओं की सुरक्षा से अलग नहीं मान सकते : बालेश कुमार, राजस्व खुफिया निदेशालय के प्रधान महानिदेशक

                     

नई दिल्ली :  राष्ट्रीय सुरक्षा को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। हमें समझना होगा कि आर्थिक सुरक्षा को सीमाओं की सुरक्षा से अलग मानकर नहीं चला जा सकता है। फिक्की कॉस्केड की ओर से आयोजित परिचर्चा में देश में तस्करी के माहौल पर विमर्श करते हुए राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के प्रधान महानिदेशक बालेश कुमार ने यह बात कही। देश के समक्ष चुनौतीपूर्ण सुरक्षा के माहौल पर श्री कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि सभी प्रवर्तन एजेंसियों को तस्करी रोकने के लिए सतत निगरानी के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना होगा कि बाहरी या आंतरिक तौर पर वित्त पोषित होने वाली संभावित आतंकी घटनाओं को रोकने के जरूरी इनपुट भी मिलते रहें।
उन्होंने आगे कहा देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं को सील कर देना ही पर्याप्त नहीं है। सुरक्षा से जुड़े मसले पूरे देश में बहुत तेजी से सीमा पार करते हुए पहुंच सकते हैं और इसके लिए हमारे पास बाहरी सुरक्षा के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा पर व्यापक निगरानी के लिए भी स्पष्ट रणनीति होनी चाहिए, जिसमें सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया हो।
अप्रत्याशित कोरोना वायरस के संकट के दौरान डीआरआई अधिकारियों के प्रयासों को रेखांकित करते हुए श्री कुमार ने बताया कि डीआरआई ने रणनीतिक रूप से सिगरेट और सोने की तस्करी पर ध्यान दिया है। इस साल पिछले 9 महीने में ₹45 करोड़ की अवैध सिगरेट और 275 करोड़ रुपए का सोना जब्त किया गया है।
फिक्की कास्केड ने अवैध कारोबार के विभिन्न स्वरूपों जैसे तस्करी एवं जालसाजी को लेकर मामले के विशेषज्ञों के साथ जानकारियों एवं विचारों को साझा करने के लिए इन कंवर्जेशन सीरीज शुरू की है। इस सीरीज के तहत बालेश कुमार ने तस्करी के कारण देश की सुरक्षा एवं अर्थव्यवस्था के सामने आए खतरे, कोविड-19 के माहौल में तस्करी के तरीकों, कर्मचारी एवं संसाधन की उपलब्धता के आधार पर प्रवर्तन एजेंसियों की तैयारी और तस्करी की कमाई से आतंकवाद की फंडिंग के विषय पर चर्चा की।
सत्र का संचालन करते हुए सीबीआईसी के पूर्व चेयरमैन एवं फिक्की कास्केड के एडवाइजर पी. सी. झा ने कहा सिगरेट नार्कोटिक्स कम मानक वाले खाद्य पदार्थों एवं दवाओं की तस्करी से सेहत के समक्ष गंभीर खतरा पैदा होता है। तस्करी के जरिए होने वाली कमाई का इस्तेमाल वैश्विक स्तर पर आतंकी गतिविधियों के पोषण में भी किया जाता है।
फिक्की कास्केड के चेयरमैन अनिल राजपूत ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि अविवादित रूप से अवैध कारोबार वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े खतरों में से एक है। दुर्भाग्य से मौजूदा कोविड संकट के समय में यह समस्या और गंभीर हुई है। अपराधियों ने अपनी अवैध गतिविधियां बढ़ाने के लिए महामारी का अवसर की तरह इस्तेमाल किया। डीआरआई के कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा ष्इस चुनौतीपूर्ण समय में भी डीआरआई के अधिकारी अधिकतम समर्पण एवं उत्साह के साथ अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं और देश की आर्थिक एवं सीमाई सुरक्षा मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
फिक्की कास्केड पिछले कई वर्षों से तस्करी एवं जालसाजी जैसी अवैध कारोबारी गतिविधियों की बढ़ती समस्या पर नियंत्रण की दिशा में सक्रियता से कदम उठा रहा है। इस संकट से निपटने की दिशा में संयुक्त प्रयासों की संभावना तलाशने के लिए कास्केड ने कई चर्चाएं आयोजित की हैं। यह परिचर्चा इस संकट के निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सरकार एवं उद्योग के बीच गठजोड़ पर केंद्रित रही। साथ ही डाटा शेयरिंग मैकेनिज्म एवं जानकारियों के आदान-प्रदान के जरिये सहयोग की जरूरत पर भी बल दिया गया।