द हैबिटैट्स ट्रस्ट ने मल्टी-सिटी सिंपोज़ियम लाॅन्च कियाः संरक्षणवादियों के बीच क्षमता निर्माण का एक अभियान
भोपाल / सिंपोज़ियम भोपाल में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट, नेहरू नगर में आयोजित किया गया
इस सीरीज़ का पहला और दूसरा सिंपोज़ियम भुवनेश्वर और जयपुर में आयोजित हुआ। इसके आगामी सत्र दिल्ली, बैंगलुरू, चेन्नई, कोलकाता, देहरादून, मुंबई और गुवाहाटी में आयोजित होंगे
एचसीएल काॅर्पोरेशन की सीईओ, रोशनी नादर मल्होत्रा द्वारा स्थापित, द हैबिटैट्स ट्रस्ट पूरे देश में सिंपोज़ियम्स का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य स्थानीय संरक्षणवादियों को सशक्त बनाना एवं उन्हें भारत और विश्व से सहयोग प्राप्त करने में मदद करना है। भोपाल के सिंपोज़ियम में संरक्षण के क्षेत्र से लगभग 100 लोग एकत्रित हुए। अगला सिंपोज़ियम 21 जनवरी, 2020 को बैंगलुरू में होगा।
द हैबिटैट्स ट्रस्ट के सिंपोज़ियम का उद्देश्य जमीनी स्तर पर संरक्षणवादियों को सहयोग देना है, ताकि वो प्रभावशाली एवं समयबद्ध संरक्षण के प्रोजेक्ट्स का प्रस्ताव तैयार कर सकें, जिससे उन्हें ग्रांट्स आकर्षित करने में मदद मिले। भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां दुनिया की 7 से 8 फीसदी प्रजातियां पाई जाती हैं और यहां पर विश्व स्तर के 36 जैव विविधतापूर्ण हाॅटस्पाॅट (हिमालय, पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व एवं निकोबर द्वीप समूह) हैं। इसलिए इन जगहों का संरक्षण पृथ्वी के सतत भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि 130 करोड़ जनसंख्या वाले इस देश में लोगों की अन्य समस्याओं के सामने संरक्षण की समस्या सदैव नजरंदाज हो जाती है, इसलिए संरक्षणवादियों को मिलने वाला सहयोग भी काफी सीमित है। साथ ही जो प्रतिबद्ध संरक्षणवादी जमीनी स्तर पर उपयोगी कार्य कर रहे हैं, उन्हें अपने काम को इस तरह से प्रस्तुत करने के कौशल की कमी है, जिससे उन्हें संस्थागत सहयोग प्राप्त करने में मदद मिल सके। द हैबिटैट्स ट्रस्ट इस कमी को पूरा करने के लिए समर्पित है।
जिन पैनलिस्ट्स ने भोपाल सिंपोज़ियम में हिस्सा लिया, उनमें त्रिशा घोष, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, द हैबिटैट्स ट्रस्ट्स; प्रत्यूष पी. महापात्र, वैज्ञानिक-डी, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल जोन रीजनल सेंटर, जबलपुर और ललित शास्त्री, भारतीय पत्रकार, स्तंभकार, वन्यजीव फिल्म निर्माता, बिडर, और पर्यावरणविद्। शामिल हैं। द हैबिटैट्स ट्रस्ट की टीम ने अपने वार्षिक ग्रांट्स प्रोग्राम के बारे में भी बताया, जो चार संगठनों एवं व्यक्तिगत संरक्षणवादियों को चुनकर उन्हें सहयोग करता है और उन्हें एक वर्ष की अवधि में प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद करता है।
पिछले साल टीएचटी ग्रांट्स को 860 रजिस्ट्रेशन मिले और इसके विजेताओं में अरण्यक (सामरिक पार्टनरशिप ग्रांट के तहत 25 लाख रु. का पुरस्कार); काॅस्टल इंपैक्ट (कम प्रख्यात हैबिटैट्स की श्रेणी में 20 लाख रु. का पुरस्कार); मेटास्ट्रिंग फाउंडेशन (कम प्रख्यात प्रजातियों की श्रेणी में 15 लाख रु. का पुरस्कार) और नीति महेश शामिल हैं, जिन्हें द कंज़र्वेशन हीरो ग्रांट के तहत 10 लाख रु. का पुरस्कार दिया गया।
आगामी सिंपोज़िम्स का विवरण निम्नलिखित हैः
S. No. | Location | Date |
1. | Bengaluru | 21st Jan, 2020 |
2. | Chennai | 8th Feb, 2020 |
3. | Kolkata | 10th Feb, 2020 |
4. | Delhi | 13th Feb, 2020 |
5. | Dehradun | 15th Feb, 2020 |
6. | Mumbai | 17th Feb, 2020 |
7. | Guwahati | 19th Feb, 2020 |
2018 में एचसीएल काॅर्पोरेशन की सीईओ एवं शिव नादर फाउंडेशन की ट्रस्टी, रोशनी नादर मल्होत्रा और एचसीएल हेल्थकेयर के वाईस चेयरमैन एवं शिव नादर फाउंडेशन के ट्रस्टी, शिखर मल्होत्रा द्वारा स्थापित, द हैबिटैट्स ट्रस्ट सामरिक साझेदारियों, जमीनी प्रयासों तथा संरक्षण के लिए टेक्नाॅलाॅजी के माध्यम से वन्य क्षेत्र एवं यहां की स्थानीय प्रजातियों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है। यह फाउंडेशन ऐसी दुनिया की कल्पना करता है, जहां हमारे प्राकृतिक परिवेश भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बन सकें और मनुष्य वन्यजीवों के साथ सामंजस्य बनाकर रहें।
भारत अत्यधिक विविधत वाला देश है। यहां का भौगोलिक क्षेत्र दुनिया के क्षेत्र का केवल 2.4 प्रतिशत है। यहां पर सभी ज्ञात प्रजातियों की 7 प्रतिशत से 8 प्रतिशत प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें पौधों की 45,000 प्रजातियों और जीवजंतुओं की 91,000 प्रजातियां शामिल हैं। विश्व के 36 ज्ञात जैवविविधता वाले स्थलों में से चार भारत में हैं: हिमालय, पश्चिमी घाट, उत्तर पूर्व और निकोबर द्वीप समूह। यद्यपि प्राकृतिक आवास का बढ़ता नुकसान और विभाजन, जंगलों पर बढ़ता जैविक दबाव, अवैध शिकार एवं प्रजातियों का गैरकानूनी कारोबार भारत की जैवविविधता को गंभीर संकट पैदा करता है। 2018 में वार्षिक ग्रांट का गठन किया गया, ताकि प्रतिबद्ध कंजर्वेशनिस्ट्स को सम्मानित कर उन्हें सहयोग किया जा सके, जिन्होंने देश के बहुआयामी वनस्पति एवं वन्य जीवन के संरक्षण के लिए अपना जीवन अर्पण कर दिया।