जीएमपीएफ ने भारत सरकार से न्यायिक समीक्षा के जरिये गोवा में खनन गतिविधियां पुनः शुरू कराने की अपील की

 गोवा के मुख्यमंत्री डाॅ. प्रमोद सावंत ने जल्द से जल्द प्रधानमंत्री मोदी के साथ जीएमपीएफ की बैठक कराने का दिलाया है विश्वास


नई दिल्ली : राज्य में लाखों खनन कामगारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट (जीएमपीएफ) ने आज भारत सरकार से इस साल के आखिर तक गोवा में खनन गतिविधियों को पुनः प्रारंभ कराने की अपील की है। जीएमपीएफ ने प्रधानमंत्री मोदी से जल्द से जल्द मंत्रिसमूह की बैठक बुलाने का आह्वान भी किया है, जिससे खनन जल्द से जल्द पुनः प्रारंभ हो सके।


जीएमपीएफ ने राज्य में खनन गतिविधियों को पुनः प्रारंभ कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 19 नवंबर, 2019 को पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए राज्य सरकार को भी धन्यवाद दिया है। हालांकि याचिका देने में हुई 20 महीने की देरी के कारण राज्य में खनन पर निर्भर लाखों लोगों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। जीएमपीएफ ने गोवा सरकार से अपील की है कि वह पुनर्विचार याचिका के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाए और संसद के चालू शीतकालीन सत्र में एक विधायी संशोधन लाना सुनिश्चित करे, जिससे राज्य में सतत रूप से खनन का दीर्घकालिक समाधान मिल सके।


इससे पहले जुलाई में माननीय गृहमंत्री अमित शाह ने संयुक्त बैठक में खनन मंत्रालय को गोवा में खनन पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने और गतिरोध समाप्त करने की दिशा में सकारात्मक सुझावों के साथ आने का निर्देश दिया था। इस बैठक के बाद राज्य में खनन पर निर्भर लाखों लोगों में आशा का संचार हो गया था, हालांकि तब से 100 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक खनन मंत्रालय की ओर से इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।


गोवा में खनन जीवन यापन के दो प्रमुख स्रोतों में से एक है और खनन उद्योग पर पूरी तरह रोक लगाने से राज्य के 3,00,000 लोगों की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इस रोक के कारण खनन गतिविधियां पूरी तरह रुक गई हैं और इससे गोवा को सलाना 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है, जिससे राज्य की वित्तीय व्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ा है। खनन क्षेत्र में काम करने वाले भारी कर्ज के नीचे दब गए हैं। इससे एक चिंताजनक स्थिति बन गई है, क्योंकि लोग बैंक लोन चुका पाने की हालत में नहीं हैं और कुछ लोगों के सामने यह स्थिति है कि उनका घर, आवास आदि भी उनसे छिनने वाला है।


जीएमपीएफ के प्रेसिडेंट श्री पुती गांवकर ने कहा, “हम गोवा खनन मामले में गोवा सरकार की ओर से पुनर्विचारयाचिका दाखिल करने के कदम का स्वागत करते हैं, लेकिन यह कदम 20 महीने बाद उठाया गया है, जो बहुत विलंब है। हम राज्य एवं केंद्र सरकार से एमएमडीआर कानून या गोवा दमन एवं दीव खनन रियायत उन्मूलन कानून, 1987 में जरूरी संशोधन की दिशा में कदम उठाने का भी अनुरोध करते हैं, जिससे राज्य में जल्द से जल्द खनन गतिविधियां प्रारंभ हो सकेंगी। जीएमपीएफ के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में गोवा के माननीय मुख्यमंत्री डाॅ. प्रमोद सावंत से मुलाकात की और उनसे अपील की कि दिसंबर, 2019 के अंत तक राज्य में खनन पुनः प्रारंभ करना सुनिश्चित करें, जैसा उन्होंने भी पूर्व में भरोसा दिलाया है। हमने माननीय मुख्यमंत्री से यह निवेदन भी किया है कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री मोदी से जीएमपीएफ की मुलाकात की व्यवस्था भी कराएं। हम गोवा में खनन के मुद्दे के समाधान के लिए शीतकालीन सत्र में राज्य एवं केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। हमने राज्य एवं केंद्र के सभी संबंधित मंत्रालयों से हमारी समस्या पर विचार करने और तत्काल कदम उठाने की अपील की है। हम शीघ्र एवं सकारात्मक फैसले की उम्मीद कर रहे हैं। अगर शीतकालीन सत्र में भी गोवा में खनन गतिविधियों को शुरू कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया, तो खनन पर निर्भर आबादी के लिए आजीविका का कोई विकल्प शेष नहीं बचेगा।“


केंद्रीय खनन मंत्रालय की ओर से जल्द सुनवाई के आवेदन के बाद भी लंबे समय से (2002 से) लंबित अबोलिशनएक्ट यानी उन्मूलन कानून पर अब तक सुनवाई नहीं हुई है। यह अपील इस संबंध में तत्काल आवश्यक कदम उठाने और उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के माध्यम से इस मुद्दे के समाधान को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखने की मांग करती है।