स्कोप महाविद्यालय में शिक्षक समग्र व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का शुभारंभ
भोपाल / भोपाल शहर के सुविख्यात महाविद्यालय स्कोप कालेज आफ इंजीनियरिंग में तीन दिवसीय कार्यशाला का भव्य शुभारंभ किया गया। जैसा की स्कोप महाविद्यालय के लिये सर्वविधित है की यह संस्था अपने छात्र-छात्राओं व शिक्षकगणों के व्यक्तित्व विकास के लिये सतत् प्रयासरत् रहता हैइसी श्रृंखला में संस्था के सभागार में एक वृहद तीन दिवसीय कार्यशाला-शिक्षक समग्र व्यक्तिव विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भोपाल शहर के जाने-माने शिक्षाविध, मनोवैज्ञानिक प्रबंधन गुरू, 5 कार्पोरेट जगत के तथा आध्यात्मिक विचार धारा के विद्वान मनिषियों के द्वारा व्यक्तित्व के विभिन्न पहलओं पर विस्तत रूप से चर्चा की जायेगी। इस कार्यशाला का आयोजन संस्था के द्वारा बड़े ही उत्कृष्ट तरीके से किया गया है।
संस्था में अपनी परम्पराओं को आगे बढ़ाते हुये कार्यशाला की शुरूआत दीप प्रज्जलन एवं सरस्वती वंदना से किया गया। सभी उपस्थित अतिथिगण व संस्था के ग्रुप संचालक डॉ. देवेन्द्र सिंह एवं सभी शिक्षकगण व छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना में हिस्सा लिया।
कार्यशाला की भव्य शुरूआत संस्था के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेन्ट डायरेक्टर डॉ. मोनिका सिंह सभी आमंत्रित विद्वानजनों का स्वागत किया। संस्था के ग्रुप संचालक डॉ. देवेन्द्र सिंह में अपने स्वागत भाषण में शिक्षकगणों के सतत् समग्र विकास पर बल देते हुये कहा की जब शिक्षक हर चुनौती के लिये स्वयं को तैयार करेगा तभी वो अपने छात्र-छात्राओं को समय के साथ आगे बढ़ते हुये सफलता की ऊंचाईयों को छूने के लिये तैयार कर सकेगा। उन्होंने अनुशासन व समय की महत्ता को भी जीवन में महत्वपुर्ण स्थान देने हेतु समझाया।
कार्यशाला के पहले सत्र में सहायक संचालक पिछड़ावर्ग अनिल सोनी ने आज के संदर्भ में समयानुकुल शिक्षा पद्धति के बारे में विस्तार में चर्चा की। उन्होंने बताया की किसी तरह से हमारे प्राचीनकाल में हिन्दी वर्णमाला भी एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ बनायी गयी थी। उन्होंने समझाया की एक शिक्षक को दिन-प्रतिदिन अपने व्यक्तित्व के विकास के लिये पल-पल बढ़ते हुये वैज्ञानिक अविष्कारों को ध्यान में रखना चाहिये। उनके सत्र में सभी उपस्थित मंत्रमुग्ध से उनको सुन रहे थे। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में डॉ. अशोक नेमा प्रो. नूतन कालेज भोपाल ने भी बड़े ही सहज तरीके से बताया की किस तरह से आध्यात्म व स्वयं पर नियंत्रण व योग के द्वारा हम बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकते है