एक अद्भुत लीडर डॉ. भीमराव आम्बेडकर की मां की भूमिका निभाने का मौका मिलने पर मैंने तुरंत ही इस किरदार के लिये हां कह दिया : नेहा जोशी

अद्भुत लीडर डॉ. भीमराव आम्बेडकर की मां की भूमिका निभाने का मौका मिलने पर मैंने तुरंत ही इस किरदार के लिये हां कह दिया : नेहा जोशी



एक अद्भुत लीडर डॉ. भीमराव आम्बेडकर की मां की भूमिका निभाने का मौका मिलने पर मैंने तुरंत ही इस किरदार के लिये हां कह दिया, यह कहना है &TV पर “एक महानायक- डॉ. बी.आर आम्बेडकर' में 'भीमाबाई सकपाल' की भूमिका निभा रहीं नेहा जोशी का


1. 'एक महानायक- डॉ. बी.आर. आम्बेडकर' में अपने किरदार के बारे में बतायें?


मैं आम्बेडकर की मां, "भीमाबाई सकपाल' की भूमिका निभा रही हूं, जिसकी शादी 13 साल की उम्र में हो जाती है। वह चौदह बच्चों की मां बनी और उसके सिर्फ छह बच्चे ही जीवित रह पाये, जिनमें से आम्बेडकर सबसे छोटा था। वह एक भली और विनम्र महिला है, उन्होंने आम्बेडकर को अपना भविष्य संवारने के लिये लगन से पढ़ाई करने के लिये प्रेरित किया। वह दिल से बहुत ही नेक है, साथ ही अपने कर्तव्य को लेकर दृढ़ भी। सारी परेशानियों के बावजूद, वह मजबूती से टिकी रहती है। आम्बेडकर जब पांच साल का था तब ही उनकी मौत हो जाती है, लेकिन आम्बेडकर के जीवन में उनका विशेष प्रभाव बना रहता है। इस शो के मेकर्स ने उस समय के सही माहौल, स्थिति और परिवेश को तैयार करने में काफी मेहनत की है।


2. आप बी.आर. आम्बेडकर के बारे में कितना जानती हैं?


उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये जो कार्य किये उसके बारे में आपकी क्या राय है? बिलकुल , मुझे डॉ. बी.आर. आम्बेडकर के बारे में जानकारी है और स्कूल में मैंने उनके बारे में पढ़ा थालेकिन ‘एक महानायक- डॉ. बी.आर आम्बेडकर' शो के माध्यम से मुझे उनके जीवन, चुनौतियों और बचपन में जिन संघर्षों का उन्हें सामना करना पड़ा, उसके बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिल रहा है। हममें से कई लोगों को उनके बचपन के बारे में बहुत ही कम जानकारी हैबाबासाहेब के लिये मेरे मन में असीम श्रद्धा है, जो उन्होंने देश के लिये किया और खासकर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये जो काम किये। उन्होंने काफी उपलब्धि हासिल की है और उन्होंने हर स्तर के लोगों के लिये काम किया- चाहे वह महिलाएं हों, किसान हों, कामगार हों, केवल समाज के निचले तबके के लोगों के लिये नहीं। बाबासाहेब दूरदर्शी इंसान थे और एक महान राजनेता, जिन्होंने भारतीय समाज के हर कमजोर तबके के सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिये काम किया।


3. एक ऐसी सीख जो आपने बाबासाहेब के जीवन से सीखी?


देश के सभी लोगों के बीच समानता का भाव लाने के लिये बाबासाहेब ने जो किया मुझे उनके काम पर पूरा भरोसा है। यह एक सीख है जो मैंने बचपन में सीखी और उनके वजूद की अहमियत तथा उपयोगिता आज के समय में भी उतनी ही है, जोकि इस किरदार के साथ और भी मजबूत हो गयीसमाज में बदलाव के बावजूद, कमजोर और जरूरतमंद को अभी भी अपने मूल अधिकार नहीं मिल पाते और उनके साथ समान व्यवहार नहीं होता है। मुझे ऐसा लगता है कि हम सबको आम्बेडकर के विचारों से इसे सीखने की जरूरत है।


4. क्या यह आपका पहला हिन्दी शो है? इस किरदार को चुनने की क्या वजह रही?


हां, इस किरदार के साथ मैंने हिन्दी के सामान्य मनोरंजन क्षेत्र में अपना डेब्यू किया हैएक अद्भुत लीडर– डॉ. बी.आर. आम्बेडकर की मां की भूमिका निभाने का मौका मिलने पर मैं तुरंत ही इसे निभाने के लिये तैयार हो गयी। ‘एक महानायक- डॉ. बी.आर आम्बेडकर' जैसे शो के साथ जुड़ना और आम्बेडकर के जीवन में इतनी महत्वपूर्ण और केंद्रीय भूमिका निभाने का मौका मिलने पर, मुझे गर्व का अनुभव होता है। यह एक ऐसा मौका है जोकि हर दिन नहीं आता है और मुझे इसे करना ही था


6. आपने पहले जो भूमिकाएं निभायीं, उससे यह किरार कितना अलग है? पहली बार मैं एक यवा मां की भमिका निभा रही हैं और यह सनने में जितना चनौतीपर्ण लगता है, उतना है भी। मुझे जिस तरह का नया किरदार निभाने का मौका मिला था, मैं भी उतनी ही हैरान थी। शुरुआत में, मैं जो किरदार निभाने जा रही थी उसके महत्व और उसके व्यक्तित्व को समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा था। मैंने जो भूमिकाएं निभायी हैं, उनसे अलग भीमाबाई के साथ मानसिक तैयारी ज्यादा थी। अब यह किरदार मेरे अंदर स्वाभाविक रूप से आ गया है। आयुध (नन्हे आम्बेडकर) के साथ तालमेल से मुझे ममता वाले भाव लाने में वाकई काफी मदद मिली, जोकि इस किरदार की मांग है। यह किरदार एक जिम्मेदारी की तरह महसूस होता है, जिसमें मुझे अपना सबसे बेहतर देना है।


7. एक युवा मां की भूमिका स्वीकार करने में पहले किसी तरह की हिचकिचाहट थी?


सच कहूं तो यह भूमिका काफी चुनौतीपूर्ण है और यह मेरे लिये पूरी तरह से एक नया अनुभव है। इस बात को लेकर मैं काफी उत्सुक थी कि इसे किस तरह निभाऊंगी। आखिरकार, सारी चीजें ठीक हो गयीं। एक एक्टर के तौर पर, आपको हर तरह ही मों के लिये तैयार रहना होगा, इससे किसी को भी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभाने में मदद मिलती है और वह एक एक्टर के रूप में बेहतर होता है। इसके अलावा, एक युवा मां की भूमिका निभाने में मुझे किसी तरह की परेशानी नजर नहीं आती है।


इसका सबसे बड़ा कारण था, डॉ. बी.आर आम्बेडकर जैसे महान नेता की मां की भूमिका निभाने का मौका मिलना। मैंने तुरंत ही इसके लिये हां कर दी थी। ‘एक महानायक- डॉ. बी.आर आम्बेडकर' जैसे शो के साथ जुड़ना और डॉ. आम्बेडकर के जीवन में इतनी अहम और महत्वपूर्ण भूमिका निभाना गर्व का अनुभव कराता है। इस तरह के मौके हर दिन नहीं आते हैं और मुझे तो इसे करना ही था।


8. अब तक शूटिंग का अनुभव कैसा रहा है और खासकर आयुध के साथ, जोकि नन्हे आम्बेडकर की भूमिका निभा रहे हैं?


यह हम दोनों के लिये अब तक बहुत ही बेहतरीन और सीखने वाला अनुभव रहा है। हर बार जब भी हम नया सीन या एक कहानी निभाते हैं, हम आम्बेडकर की जीवन यात्रा के बारे में गहराई से जानते हैं और एक अलग युग के हिसाब से अपनी सोच को बदलते हैं। सारे कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कमाल का है। सिर्फ 3 महीने के समय में म सबके बीच काफी अच्छा रिश्ता बन गया है। परदे पर मेरे बेटे का किरदार निभा रहे. आयध भानशाली (नन्हे आम्बेडकर) के साथ तो मेरा एक खास रिश्ता बन गया है। मेरा ऐसा मानना है कि उनके साथ मेरा यह तालमेल ही है जिससे मुझे इस किरदार को निभाने में मदद की।


9. आपके विचार से बच्चों के लिये डॉ. बी.आर आम्बेडकर और उनके जैसी नामचीन हस्तियों के बारे में जानना और पढ़ना कितना जरूरी है?


मुझे ऐसा लगता है कि बच्चों को महान हस्तियों की प्रेरक कहानियों के बारे में पता होना चाहिये, क्योंकि यह उनके दिलोदिमाग पर अमिट छाप छोड़ते हैं, साथ ही उनके नक्शेकदम पर चलने के लिये प्रेरित करते हैं। उनके विचार समाज के कुछ विशेष तबकों या समय काल पर लागू नहीं होते हैं, बल्कि आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और मुझे ऐसा लगता है कि आगे आने वाली पीढ़ियों को उनके मूल्यों से सीखने में मदद मिलेगी। इससे वह अपनी चाहत से भी ज्यादा उपलब्धि हासिल कर पायेंगे।