दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने कहा सिगरेट पर प्रतिबंध असंवैधानिक

                                          


नई दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका के वेस्टर्न केप हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि देश में लॉकडाउन के दौरान सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का कदम गैर जरूरी था और दक्षिण अफ्रीका के संविधान के अनुरूप नहीं था। 
ब्रिटिश अमेरिकन टबैको साउथ अफ्रीका (बीएटीएसए) और अन्य ने तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के मामले में मई में डिपार्टमेंट ऑफ को.ऑपरेटिव गवर्नेंस एंड ट्रेडिशनल अफेयर्स (कोगटा) राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और नेशनल कोरोनावायरस कमांड काउंसिल के खिलाफ अदालत में मामला दर्ज कराया था। 
मामले की सुनवाई कर रहे वेस्टर्न केप हाई कोर्ट के तीन जजों ने कहा कि कोगटा मंत्री कोसाजाना लामिनी जुमा ने जिस नियमन-45 को आधार बनाकर प्रतिबंध लगाया था, उसे संविधान के अनुरूप नहीं माना जा सकता है। जजों ने कहा कि संबंधित पक्ष यह नहीं स्पष्ट कर पाया कि नियमन-45 अनिवार्य था और न ही यह साबित कर पाया कि इससे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के लक्ष्य को हासिल करने में कैसे मदद मिलती है। 
इस कारण से जजों ने फैसला सुनाया कि यह नियमन अधिकार से बाहर था, जिसका अर्थ है कि सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया। अदालत में सरकार ने पक्ष रखते हुए कहा कि इस प्रतिबंध का लक्ष्य यह था कि इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में धूम्रपान करने वालों की संख्या कम रखी जा सके। सरकार ने कहा कि अगर लोग धूम्रपान नहीं करते तो उनमें कोविड.19 के कारण गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा कम रहता। लेकिन बीएटीएसए ने कहा कि सरकार कानून या विज्ञान के आधार पर इस प्रतिबंध को न्यायसंगत नहीं ठहरा पाई। 
जजों ने बीएटीएसए के तर्क से सहमति जताई लेकिन साथ ही कहा कि सरकार एक नए वायरस की चुनौती का सामना कर रही थी, जिसके प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत थी। इस कारण से कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सभी पक्षों को अपने नुकसान की भरपाई स्वयं करनी होगी,क्योंकि अब प्रतिबंध हटाया जा चुका है और सरकार एक ऐसी स्थिति का सामना कर रही थी, जो बिलकुल नई थी। 
फैसले में कहा गया उस समय कोविड.19 महामारी के बारे में बहुत कम जानकारी थी और सरकार के समक्ष संवैधानिक एवं नैतिक दायित्व था कि तत्काल कदम उठाए। ऐसे में अब किसी भी परिस्थिति में सरकार से किसी कदम के लिए हर्जाना वसूलना न्यायपूर्ण नहीं होगा।
एक बयान में बीएटीएसए ने कहा कि उसका यह मानना कि तंबाकू की बिक्री को प्रतिबंधित करना अन्यायपूर्ण एवं असंवैधानिक था, यह बात हाई कोर्ट के फैसले से सही साबित हुई है। बयान में कहा गया, तंबाकू एवं वैपर प्रोडक्ट्स की बिक्री पर पांच महीने का प्रतिबंध गलत व गैरकानूनी था और इससे देश में सिगरेट एवं वैपर प्रोडक्ट्स के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला।
इसने जोर देकर कहा कि दक्षिण अफ्रीका सरकार तत्काल अवैध कारोबार को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रोटोकॉल को लागू करे, जिससे सिगरेट के अवैध कारोबार को खत्म करने में मदद मिलेगी। संगठन ने कहा तंबाकू एवं वैपर प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध के दौरान बढ़े अवैध कारोबार के कारण सरकार को टैक्स में हुए नुकसान की भरपाई का यह एकमात्र तरीका है।