कोविड-19 से जहां मोटे लोगों को ज्यादा खतरा है, वहां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भोजन पर स्पष्ट लेबल देना, पोषण में सुधार के लिए बेहद जरूरी बन गया है

                   


कोविड-19 से जहां मोटे लोगों को ज्यादा खतरा है, वहां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भोजन पर स्पष्ट लेबल देना, पोषण में सुधार के लिए बेहद जरूरी बन गया है


नई दिल्ली : हाल में हुए शोध में सामने आया है कि मोटे लोगों में कोविड-19 से मृत्यु की दर 48% अधिक है। वैश्विक स्तर पर 2 बिलियन से अधिक लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं। ऐसी परिस्थिति में मोटापे से लड़ना और पोषण में सुधार करना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है


साक्ष्यों से पता चलता है कि एक महत्वपूर्ण प्रयास स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों की पहचान बताने वाले स्पष्ट फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबलों के साथ उपभोक्ताओं को सशक्त कर रहा है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठन वाइटल स्ट्रैटेजीज़ और ग्लोबल पार्टनर्स ने मोटापे से निपटने के लिए सस्ती, प्रभावी रणनीति को अपनाने में देशों की सहायता करने के लिए गाइड टू इंट्रोड्यूसिंग इफेक्टिव फ्रंट-ऑफ- पैकेज जारी किया


डॉ. नंदिता मुरुकुटला, वाइस प्रेसिडेंट, ग्लोबल पॉलिसी एंड रिसर्च, वाइटल स्ट्रैटेजी ने कहा, "स्मार्ट लेबलिंग के नियम काम करते हैं। ज्यादातर खरीदार प्रत्येक फूड और पेय पदार्थ को चुनने में 10 सेकंड से कम समय लेते हैं। ऐसे में उन्हें सेहतमंद खाद्य पदार्थों को चुनने के लिए एक तेज और आसान तरीके की जरूरत होती हैहमारी नई गाइडबुक से कई देशों को स्मार्ट स्ट्रैटेजी विकसित करने में मदद मिलेगी ताकि वे स्पष्ट रूप से दिखाई देने और समझ आने वाले न्यूट्रिशन वॉर्निंग लेबल के लिए फ्रंट-ऑफपैकेज स्पेस का उपयोग कर सकें। यह ग्राहकों को गैर सेहतमंद प्रोडक्ट खरीदने से बचने में मदद करता है और अंततः, लोगों को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।"


यह गाइडबुक ब्लूमबर्ग फिलेन्थ्रोपीज़ की मदद से वाइटल स्ट्रैटेजीज़ और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के ग्लोबल फूड रिसर्च प्रोग्राम द्वारा तैयार की गई है। इस गाइडबुक को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक वर्चुअल प्रोग्राम में पेश किया गया। इस गाइडबुक को चिली और मैक्सिको जैसे देशों से काफी सफलता मिली है। इस गाइडलाइन ने बताया है कि कैसे एक प्रभावी फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबल विकसित किया जा सकता है। इसमें बताया गया है कि कैसे लेबल में वैज्ञानिक आधार साझा किया जाए, स्थानीय संदर्भ की अन्य सेटिंग्स से मौजूदा लेबल को कैसे उपयोग किया जाए और कैसे लेबल डिजाइनों का परीक्षण किया जाए। साथ ही गाइडलाइन में इस प्रयास के लिए लोगों की भागीदारी की जरूरत के बारे में बताया गया


बैरी पॉपकिन, पीएचडी और डब्ल्यू.आर. केनन जूनियर डिस्टिन्गुइश प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना गिलिंग्स स्कूल आफ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ ने कहा, "उपलब्ध प्रमाण बताते हैं कि स्पष्ट और सूचनात्मक फ्रंट-ऑफ-पैकेज न्यूट्रिशियन वॉर्निंग लेबल प्रदान करना मोटापे और पोषण से संबंधित संबंधी बीमारियां जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हैअगर लोगों को ग्रॉसरी की रैक पर ही यह समझ में आ जाता है, कि कौन सा खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है, तो उन्हें सेहतमंद विकल्प चुनने में काफी मदद मिलेगी।"


प्रो. पॉपकिन और उनके सहयोगियों द्वारा फरवरी 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन में फ्रंटऑफ-पैकेज लेबल्स के लिए कुछ बेहतरीन प्रमाण पेश किए हैं। यह पाया गया कि चिली द्वारा चीनी युक्त पेय पदार्थों पर फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबल अपनाने से 18 महीनों में इनकी खपत लगभग 25% कम हो गई। जब चेतावनी लेबल के नियम शुरू हुए हैं, उस वक्त चिली दुनिया में प्रति व्यक्ति चीनी युक्त पेय पदार्थों की खपत करने वाला सबसे बड़ा देश था।


दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है, जिसमें 5 वर्ष से कम आयु के अधिक वजन वाले 41 मिलियन से अधिक बच्चे शामिल हैं। मोटापा गैर संक्रामक बीमारियों का एक प्रमुख कारण है, जिसके चलते दुनिया भर में 70% से अधिक मौतें होती है। गैर सेहतमंद आहार को हर साल विश्व स्तर पर 11 मिलियन ऐसी मौतों के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जिन्हें रोका जा सकता है। खाने को लेकर असुरक्षा और संरचनात्मक असमानताओं के चलते कई निम्न और मध्यम आय समुदायों को किराने का ताजा सामान और पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है। जिससे सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कोविड-19 महामारी ने सस्ते सेहतमंद खाद्य पदार्थों तक पहुँच और मुश्किल बना दी है, जिसके चलते कई लोग प्रोसेस्ड और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहने को मजबूर हुए हैं।


डॉ. नीना प्रसाद, डायरेक्टर, फूड पॉलिसी प्रोग्राम, ब्लूमबर्ग फिलेंन्थ्रॉपीज़ ने कहा, "मोटापा महामारी ने विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों पर एक नया बोझ डाल दिया है। वहीं कोविड-19 ने इसकी गंभीरता और बढ़ा दी हैयह जरूरी है कि हम ऐसी नीतियों और रणनीतियों को आगे ले जाएं, जो ग्राहकों के बीच गैर सेहतमंद खाद्य पदार्थों की मांग में कमी लाएं और स्वास्थ्यप्रद विकल्प को सभी के लिए सुलभ बनाएं।"


त्लालेंग मोफोकेंग, यू.एन.स्पेशल रैपोर्चर ऑन राइट-टू-हैल्थ ने कहा, "खाने पीने की कौन सी चीज़ स्वास्थ के लिए बेहतर है, तेजी से और आसानी से इसे पहचानने की ग्राहकों की क्षमता, खराब स्वास्थ से लड़ने में हमारी बड़े पैमाने पर मदद कर सकती है। मैं सरकारों से आग्रह करता हूं कि वे इस गाइड में संकलित साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई करें ताकि लोगों को वह ताकत मिल सके जो उन्हें अपने और अपने परिवार को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।" वर्तमान में छत्तीस देशों को पैकेज्ड फूड पर स्वैच्छिक या अनिवार्य लेबल की आवश्यकता है।


अधिक जानकारी के लिए या गाइड टू इंट्रोड्यूसिंग इफेक्टिव फ्रंट-ऑफ-पैकेज न्यूट्रिएंट लेबल की एक प्रति डाउनलोड करने के लिए, कृपया http://vitalstrategies.org/whats-in-our-food पर जाएं